नैनागिरि (रेशंदीगिरि ) : यह बुन्देलखण्ड का प्राचीनतम तीर्थ है। यहाँ दर्शनाथियों के लिए सभी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध है। इस तीर्थ पर स्थित सिद्ध शिला से भगवान नेमिनाथ के काल में आचार्य वरदत्तादि पांच मुनिवर मोक्ष पधारें थे। तीन हजार वर्ष पूर्व इस तीर्थ पर भगवान पार्श्वनाथ का समवसरण आयोजित किया गया था। पर्वत पर 38, तलहटी में 16 एवं महावीर सरोवर में 2 विशाल मंदिर है। जल मंदिर एवं मानस्तंभ तथा समवसरण मंदिर बहुत सुन्दर और आकर्षक है। एक हजार वर्ष पूर्व सन् 1050 में प्रतिष्ठित प्राचीन मूर्तिया पर्वत पर विराजमान है। चौबीसी मंदिर में विराजमान भगवान पार्श्वनाथ की तदाकार मूर्ति अत्यंत ही आकर्षक एवं मनोज्ञ है। तलहटी में विशाल जिनालय है।
प्रमुख दर्शन चैबीसी मंदिर में विराजमान भगवान पार्श्वनाथ, प्राचीनतम महावीर मंदिर, मुनिसुव्रतनाथ के पांच प्राचीन मंदिर, माता वामादेवी के साथ शिशु पार्श्वनाथ, भगवान पार्श्वनाथ और युवा पार्श्वनाथ और इस के अलावा प्रमुख दर्शनीय स्थल सिद्धशिला और आचार्य वरदत्त की तपोभूमि, वरदत्त गुफा (बड़ी), वरदत्त गुफा (छोटी), गजराज बज्रघोष, ऐरावत हाथी, संगम, गर्म और ठण्डे पानी के झरने, आदि सागर (सरकार द्वारा निर्मित विशाल सरोवर), आचार्य वरदत्त तपोवन (पर्वत के पीछे), तीर्थंकर वन (धर्मशाला के पीछे)।