आचार्य वरदत्त की तपोभूमि और सिद्धशिला
पर्वत के पीछे सेमरा पठार एवं नदी की धारा के मध्य में ५० फुट ऊँची एक पाषाण-शिला है। कहा जाता है कि इसी शिला पर तप करते हुए वरदत्त आदि पाँच मुनिराज मुक्त हुए थे। अत: यह शिला सिद्धशिला कही जाती है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र से लगभग एक मील दूर जंगल में एक प्राचीन वेदिका है जो काफी विशाल है।